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रामनगर का भरत मिलाप: श्रीराम अयोध्या लौटे, चारों भाइयों का मिलन देख लीला प्रेमियों की आंखें नम

रामनगर, वाराणसी: श्रीराम 14 वर्ष का वनवास काटकर सकुशल अयोध्या लौट आए। भाइयों के बीच इस तरह के प्रेम की कल्पना कलयुग में संभव नहीं है। यदि ऐसा हो जाए तो रामराज की कल्पना की जा सकती है। नंदीग्राम में अपने पर्णकुटी में बैठे भरत सोचते रहते हैं कि राम कब अयोध्या लौटेंगे। एक दिन शेष बचा है।

तभी उनकी दाहिनी आंख बार-बार फड़कने लगी। उसी समय उनके पास ब्राह्मण के वेश में हनुमान वहां पहुंचे। उन्होंने राम के सकुशल अयोध्या वापस लौटने का उनको समाचार सुनाया। तो उन्होंने उनका परिचय पूछा। परिचय देने के बाद हनुमान ने उन्हें राम रावण युद्ध की सारी कहानी सुनाई। जिसके बाद भरत ने उन्हें गले से लगा लिया।

समाचार देकर हनुमान वापस राम के पास लौट गए। उनके आने का समाचार सुनकर भरत आनंदित हो उठे। अयोध्या पहुंचकर उन्होंने गुरु वशिष्ठ और अपनी माताओं को राम के आने का समाचार सुनाया जिसे सुनकर पूरी अयोध्या खुशी से झूम उठे।

सोमवार की रात 11:00 बजे रामनगर चौक में चारों भाइयों का मिलन हुआ। जिसे देखकर लीला प्रेमियों की आंखें डबडबा गईं। चारों ओर श्रीराम भरत मिलाप को देखकर राम के जय जयकार गुजने लगे। अयोध्या की सीमा में पहुंचने पर राम अपने सभी मित्रों से अयोध्या की महिमा का वर्णन किया। पुष्पक विमान से उतरकर उसे वापस कुबेर के पास भेज दिया। गुरु वशिष्ट ने राम से उनका कुशलक्षेम पूछा।

राम सभी ब्राह्मणों को प्रणाम किए। माताओं को देखकर राम उनके चरण स्पर्श किए और अयोध्या वासियों से मिले। सभी वानर भालूओं का अपने परिजनों से परिचय कराया। गुरु वशिष्ट ब्राह्मणों से पूछने लगे कि यदि आप लोग प्रसन्न मन से आज्ञा दे तो रामचंद्र जी सिंहासन पर बैठे। ब्राह्मणों ने यह कार्य तत्काल करने की आज्ञा दी।

गुरु वशिष्ठ ने सुमंत को बुलाकर राम राज्य अभिषेक की सभी तैयारी पूर्व की भांति करने का आदेश दिया। राम ने अपने मित्रों को स्नान कराने के लिए कहा। सभी स्नान करके नया वस्त्र धारण किए। इसके उपरांत अयोध्या राम लीला मैदान में भगवान की आरती के बाद श्री राम भरत मिलाप की लीला संपन्न हुई।

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